नैनीताल:- कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल का 20वाँ दीक्षांत समारोह आज विश्वविद्यालय के ए.एन. सिंह सभागार, डी.एस.बी. परिसर में अत्यंत गरिमामय एवं प्रेरणादायक वातावरण में सम्पन्न हुआ। समारोह की मुख्य अतिथि भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू रहीं, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखण्ड के माननीय राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) ने की। इस अवसर पर राज्य के माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, कुलपति प्रो. दिवान सिंह रावत उपस्थित रहे।
अपने प्रेरक उद्बोधन में भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि “शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जीवन को दिशा देने वाली एक सतत साधना है।” उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं, बल्कि व्यक्ति के भीतर मानवीय संवेदनाओं, नैतिक मूल्यों और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना को जागृत करना है।
माननीय राष्ट्रपति महोदया ने कहा कि हिमालय की गोद में स्थित कुमाऊँ विश्वविद्यालय न केवल उच्च शिक्षा का केंद्र है, बल्कि यह ज्ञान, संस्कृति और पर्यावरण चेतना का संगम भी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता, पर्वतीय कृषि, महिला सशक्तिकरण और सतत विकास के क्षेत्र में जिस प्रकार कार्य किया है, वह पूरे देश के लिए एक आदर्श उदाहरण है।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने जीवन में सत्य, करुणा और ईमानदारी को आधार बनाएं तथा “विकसित भारत@2047” के संकल्प को साकार करने में सक्रिय भूमिका निभाएँ। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में भारत को विश्वगुरु बनाने में युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी। राष्ट्रपति महोदया ने पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि उनकी उपलब्धियाँ न केवल उनके परिश्रम का परिणाम हैं, बल्कि परिवार, शिक्षकों और विश्वविद्यालय के सामूहिक प्रयासों का भी प्रतिफल हैं।
माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड का गौरव है, जिसने शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में नये मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय हिमालय की प्रकृति और संस्कृति से जुड़कर ज्ञान की ऐसी धारा प्रवाहित कर रहा है जो समाज के हर वर्ग को प्रेरित करती है।
राज्यपाल महोदय ने विद्यार्थियों से कहा कि वे राष्ट्रसेवा की भावना से प्रेरित होकर कार्य करें और जीवन में अनुशासन, निष्ठा और मानवीय संवेदनाओं को सर्वोपरि रखें। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 की सराहना करते हुए कहा कि यह नीति भारतीय परंपरा और आधुनिकता के समन्वय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो विद्यार्थियों को वैश्विक दृष्टिकोण और स्थानीय जिम्मेदारी दोनों प्रदान करती है।
माननीय राज्यपाल महोदय ने विश्वविद्यालय की नई उपलब्धियों जैसे नवाचार केंद्रों की स्थापना, अनुसंधान परियोजनाओं का विस्तार और हरित ऊर्जा के उपयोगकी सराहना करते हुए कहा कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय वास्तव में उत्तराखण्ड की उच्च शिक्षामें महत्वपूर्णयोगदान दे रहा हैं।
माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापरक, शोधोन्मुख और रोजगारपरक शिक्षा को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विश्वविद्यालयों में नई तकनीकों, स्टार्टअप, नवाचार और कौशल विकास को प्राथमिकता दी जा रही है ताकि विद्यार्थी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दे सकें।
उन्होंने कुमाऊँ विश्वविद्यालय की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह संस्था राज्य के लिए आदर्श प्रस्तुत कर रही है।
कुलपति प्रो. दिवान सिंह रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय का ध्येय केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में सामाजिक उत्तरदायित्व, पर्यावरणीय चेतना और अनुसंधान की भावना विकसित करना है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता, इंटर्नशिप योजनाएँ, अनाथ विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क शिक्षा, तथा निःशुल्क SSB प्रशिक्षण और ई-बुक्स सुविधा जैसी पहलें प्रारंभ की हैं।
उन्होंने कहा कि आधारभूत ढांचे के आधुनिकीकरण पर विशेष बल दिया गया है दोनों परिसरों में 10 नई इमारतों का निर्माण हो रहा है तथा 788 किलोवाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है। विश्वविद्यालय में चार स्किल सेंटर, एनसीएसी कैडेट्स के लिए रोइंग बोट सिम्युलेटर, तथा दो इंडोर फायरिंग रेंज भी विकसित की गई हैं।
कुलपति ने बताया कि इस दीक्षांत समारोह में कुल 16,183 विद्यार्थियों को उपाधियाँ, 3 विद्वानों को डी.लिट् की उपाधि, तथा 250 शोधार्थियों को पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई। कुल 89 विद्यार्थियों को पदक प्रदान किए गए, जिनमें 78.5 प्रतिशत पदक छात्राओं ने प्राप्त किए।
माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पदक प्रदान किए।
पदक प्राप्त करने वालों में प्रमुख रूप से अदिति गोयल, अपर्णा जोशी, हर्ष तिवारी, हर्षित जोशी, हर्षिता कबड़ियाल, हर्षिता सक्सेना, हिमानी चौसाली, खुशी देवाल, खुशी खाती, लवली नेगी, मीतू गोयल, नेहा डोबाल, निखिल बिष्ट, निकिता सिंह, पूजा बिष्ट, प्रियांका रावत, राशि उप्रेती और रेनू नेगी शामिल हैं।
इन विद्यार्थियों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से विश्वविद्यालय और प्रदेश का गौरव बढ़ाया।
समारोह के अंत में कुलसचिव डॉ. एम. एस.मंद्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, माननीय राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.), माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सभी अतिथियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और मीडिया प्रतिनिधियों का हृदय से आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट कुलपति, एसएसजे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, प्रो. एन. के. जोशी कुलपति, श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, नई टिहरी, प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी कुलपति, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी, श्री दीपक रावत आयुक्त, कुमाऊँ मंडल, श्रीमती ऋद्धि अग्रवाल पुलिस महानिरीक्षक, कुमाऊँ, प्रो. विश्वनाथ खली निदेशक, उच्च शिक्षा, उत्तराखण्ड तथा पद्मश्री अनुप साह सहित अनेक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ाया।
समारोह के सफल आयोजन में प्रो. नीता बोरा शर्मा, प्रो. संजय पंत, प्रो. ललित तिवारी, प्रो. रीतेश साह, प्रो. महेन्द्र राणा, डॉ. गगनदीप होठी, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. निधि, डॉ. मोहित रौतेला, डॉ. पूरन अधिकारी, डॉ. दीपक मेलकानी, डॉ. हृदेश, डॉ मनोज सिंह बिष्ट, डॉ. भूमिका, आदि का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. दिव्या उपाध्याय जोशी ने किया। इस कार्यक्रम में मूक बधिर व्यक्तियों के लिए भी सम्प्रेषण की व्यवस्था की गई थी।







