हल्द्वानी में विधिक जागरूकता कार्यक्रम द्वारा बच्चों को उनके अधिकारों और सुरक्षा के प्रति किया गया जागरूक।
हल्द्वानी: उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल के मार्गदर्शन में 29 जनवरी 2025 को हल्द्वानी स्थित धरोहर बाल आश्रय केंद्र में एक प्रभावशाली विधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके विधिक अधिकारों, शिक्षा के अधिकार, सुरक्षा उपायों और आपातकालीन सेवाओं के बारे में जागरूक करना था।
कार्यक्रम का संचालन अनुभवी पैरालीगल वॉलंटियर्स श्री हिशांत और श्री कैलाश जोशी द्वारा किया गया। उन्होंने बच्चों को आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों जैसे 15100, 1098, और 112 की अहमियत से अवगत कराया, जो संकट की घड़ी में तत्काल मदद उपलब्ध कराते हैं। इसके साथ ही, बच्चों को राइट टू एजुकेशन (RTE) अधिनियम के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के बारे में जानकारी दी गई और उन्हें प्रेरित किया कि वे शिक्षा की महत्ता को समझें और इसे अपने माता-पिता के साथ साझा करें।
कार्यक्रम के दौरान, धरोहर बाल आश्रय केंद्र की व्यवस्थाओं का समग्र मूल्यांकन किया गया। भोजन, स्वच्छता और अन्य सुविधाओं की स्थिति का निरीक्षण किया गया, और पाया गया कि केंद्र की व्यवस्थाएँ संतोषजनक थीं।
इस कार्यक्रम ने यह सुनिश्चित किया कि बच्चों को संकट की स्थिति में सही कदम उठाने के लिए आवश्यक जानकारी मिल सके। विधिक जागरूकता का यह प्रयास बच्चों के लिए एक सशक्त कदम साबित हो सकता है, जो उनकी सुरक्षा और भविष्य को मजबूत बनाएगा।
कार्यक्रम में शामिल पैरालीगल वॉलंटियर्स ने इसे समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि विधिक जागरूकता कार्यक्रम समाज में विधिक सशक्तिकरण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इसके साथ ही, पैरालीगल वॉलंटियर्स ने समाज से यह संदेश दिया कि हर बच्चे को अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए, क्योंकि यह समाज की समग्र उन्नति के लिए आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि जब समाज का हर बच्चा शिक्षा से सशक्त होगा, तो न केवल उसका जीवन बेहतर होगा, बल्कि यह समग्र समाज के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव लाएगा।
बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके हम उन्हें जीवन में सही निर्णय लेने के लिए सक्षम बना सकते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों का प्रभाव भविष्य में और अधिक बच्चों तक पहुंचेगा, जिससे उनके सुरक्षा और शिक्षा के अधिकारों को सशक्त रूप से सुनिश्चित किया जा सकेगा।
