आलेख:- प्रो.ललित तिवारी ,नैनीताल।
नैनीताल:- सोहनलाल द्विवेदी की कविता “खड़ा हिमालय बता रहा है” हिमालय के दृढ़ निश्चय, अडिगता और प्रेरणादायक गुणों को प्रस्तुत करती है, जिसमें कवि मनुष्य को संकटों से न घबराकर हिमालय के समान अपने लक्ष्य पथ पर अविचल रहने की सीख देते हैं।
हमारी संस्कृति हमारी पहचान है हिमालय जिसे हिमवान, हिमाद्रि, और पर्वतराज ,पहाड़ों का स्वामी के नाम से भी जाना जाता है । 2400 किलोमीटर लंबी ,110 चोटियों तथा 250 मिलियन पुरानी है हिमालय ।
हिमालय का अर्थ ही “बर्फ का घर” या “बर्फ का निवास” है, जो संस्कृत के दो शब्दों ‘हिम’ (बर्फ) और ‘आलय’ (निवास) से मिलकर बना है. यह एशिया की एक विशाल पर्वत श्रृंखला है जो दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों को समेटे हुए है, जिसमें माउंट एवरेस्ट 8848 मीटर भी शामिल है. यह भारत को उत्तर में तथा भारतीय उपमहाद्वीप को तिब्बत के पठार से अलग करने वाली एक प्राकृतिक दीवार का भी काम करती है.
हिमालय विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है, जिसमें एवरेस्ट और के2 सहित चौदह चोटियां स्थित हैं। हिमालय में 15,000 हिमनद हैं।
हिमालय हमारी धरोहर , प्राकृतिक सुंदरता , जैव विविधता का भंडार ,आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विरासत है।
हिमालय की प्रमुख चोटियों में माउंट एवरेस्ट (विश्व की सबसे ऊंची चोटी), के2 , कंचनजंगा ,ल्होत्से, मकालू, चो ओयू, धौलागिरी, मनास्लु, नंगा पर्वत और अन्नपूर्णा ,नंदा देवी पर्वत शामिल हैं।
हिमालय असीमित जैव विविधता से संपन्न है, जो दुनिया के 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है. इस क्षेत्र में पौधों की लगभग 10000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 31600 इंडिमिक हैं । यहाँ हिम तेंदुआ, लाल पांडा और हिमालयी ताहर जैसे कई वन्यजीव भी पाए जाते हैं. हिमालयी क्षेत्र अपनी ऊँचाई, जलवायु, और भू-आकृति संबंधी विविधता के कारण विभिन्न प्रजातियों के पनपने के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है.
हिमालय मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन, हिमनदों का पिघलना, भूस्खलन, भूस्खलन, मृदा अपरदन, अनियंत्रित पर्यटन, और वन संसाधनों का क्षरण जैसी पर्यावरणीय और पारिस्थितिक समस्याओं का सामना कर रहा है, जिससे जल संसाधनों, जैव विविधता और स्थानीय समुदायों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
पर्यावरणीय और पारिस्थितिक समस्याएँ हिमालय को घेर रही है ऐसे में इसके संरक्षण एवं सतत विकास में हर व्यक्ति प्रतिभागिता अनिवार्य है ।



