अंडे से आत्मनिर्भरता तक: कौशल्या ने अपने कौशल से बदली परिवार की आर्थिक तस्वीर।

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रिपोर्ट:- नेहा जोशी ,बागेश्वर।

बागेश्वर:-बागेश्वर की पहाड़ी वादियों में छुपी यह प्रेरणादायक कहानी बताती है कि छोटे कदम कैसे बड़ी उड़ान में बदल सकते हैं। NRLM योजनांतर्गत ग्राम पंचायत चचई के सरस्वती स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाएं आज गांव की बाकी महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं। इन्हीं में से एक हैं कौशल्या देवी, जिनकी मेहनत ने उनके परिवार की आर्थिक तस्वीर बदल दी है।

साधारण शुरुआत, असाधारण सफर

जुलाई 2019 में गठित सरस्वती SHG की शुरुआत आम थी, लेकिन NRLM योजना के तहत पशुपालन विभाग से मुर्गी पालन और मछली पालन का प्रशिक्षण मिलने के बाद इन महिलाओं ने अपनी किस्मत खुद लिखनी शुरू की।
मनरेगा योजना की मदद से मुर्गी बाड़ा और मछली तालाब की सुविधा मिली। व्यवसाय को मजबूती देने के लिए उन्हें RF (Revolving Fund), CIF (Community Investment Fund) और CCL (Cash Credit Limit) जैसी वित्तीय सहायता मिली।

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आज कौशल्या देवी के पास 400 से अधिक मुर्गियां हैं, जिनसे वे रोज़ाना 150-200 अंडे इकट्ठा कर बाज़ार में बेचती हैं। हर अंडा ₹10 में बिकता है, जिससे उन्हें रोजाना ₹200-₹300 की अतिरिक्त आय होती है।

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कौशल्या देवी बताती हैं:“इस आय से न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई चल रही है, बल्कि घर की ज़रूरतें भी पूरी हो रही हैं। अब हम सिर्फ घर संभालने वाली नहीं, बल्कि आय अर्जित करने वाली महिलाएं हैं।”

बाज़ार तक सीधी पहुँच और नया मछली पालन उद्यम

समूह ने गांव में ही स्थानीय विक्रय केंद्र की स्थापना की है, जिससे बाज़ार तक पहुँच आसान हुई और अंडों की बिक्री में इज़ाफा हुआ। आजीविका योजना के तहत उन्हें मछली पालन के लिए टैंक और बीज भी दान में मिले हैं, और वे अब इस क्षेत्र में भी नया उद्यम विकसित कर रही हैं।

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लक्ष्य: आमदनी को दोगुना करना

कौशल्या देवी लक्ष्मीपति दीदी हैं और बताती हैं कि समूह की महिलाएं अब केवल आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि महत्वाकांक्षी भी हैं। उनका अगला लक्ष्य है आय को दोगुना करना।


यह कहानी अंडों और मछलियों की नहीं, बल्कि सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और उम्मीद की कहानी है — जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो पूरा गांव प्रगति करता है।

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