नैनीताल:-, कुमाऊं विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली द्वारा कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल स्थित यूजीसी-मालवीय मिशन टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर में दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला 28 मार्च 2025 को प्रारंभ हुई, और इसका उद्घाटन प्रो. मनीष आर0 जोशी, सचिव, यूजीसी, एवं डॉ जितेंद्र त्रिपाठी, संयुक्त सचिव, यूजीसी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर प्रो. दिव्या जोशी, निदेशक, और कुलसचिव, डॉ. एम एस मंद्रवाल, भी उपस्थित थे।
कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के सचिव प्रो0 मनीष आर0 जोशी ने यूजीसी-मलवीय मिशन टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर के कार्यों की सराहना करते हुए इस क्षेत्रीय कार्यशाला के महत्व को स्पष्ट किया। उन्होंने समावेशी शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि छात्रों तक भी इन कार्यक्रमों की पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि वर्तमान शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में पारंपरिक विधियों से बाहर सोचने और एआई और आधुनिक तकनीकों का समावेश आवश्यक हो गया है।
प्रो0 जोशी ने आगे कहा, आज की शिक्षा प्रणाली को बदलाव की आवश्यकता है, जो सिर्फ एक शिक्षक और छात्र के संबंध से परे जाकर समाज के समग्र विकास को दृष्टिगत रखे। इसके लिए हमें नवाचार, रचनात्मक सोच और सामूहिक प्रयासों की दिशा में काम करना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक प्रभावशाली और स्थायी परिवर्तन लाने के लिए दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। उनका यह उद्घाटन संबोधन सभी प्रतिभागियों के लिए प्रेरणादायक था, जिसमें उन्होंने नवाचार को अपनाने और शिक्षा के क्षेत्र में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
कार्यशाला में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने ऑनलाइन माध्यम से सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने इस आयोजन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कार्यशाला शिक्षकों के प्रशिक्षण को समग्र और प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगी।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निदेशक श्री देवेंद्र कुमार शर्मा ने वर्चुअली कार्यशाला में भाग लिया और एक व्यापक पावरपॉइंट प्रस्तुति दी। उन्होंने शिक्षक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि शिक्षक प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विस्तार और ऑफलाइन कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देना भी उतना ही जरूरी है जितना कि शैक्षिक कार्यक्षमता को सुधारना। इसके अतिरिक्त, उन्होंने साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के शिक्षा में उपयोग की बढ़ती महत्वता पर भी प्रकाश डाला।
कार्यशाला के अंतर्गत प्रो. दिव्या उपाध्याय जोशी, निदेशक, यूजीसी-मलवीय मिशन टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह कार्यशाला शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम चुनौतियों और समाधानों पर विचार विमर्श करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा किए गए निवेशों और सेंटर के पिछले 18 वर्षों में हुए विकास को भी साझा किया।
विभिन्न विश्वविद्यालयों के निदेशकों ने अपने-अपने केन्द्रों पर किए गए कार्यों पर प्रस्तुति दी, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन की स्थिति सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा की गई। निदेशकों ने यह बताया कि किस प्रकार उनके केन्द्रों में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए नवाचारों और नई रणनीतियों का समावेश किया जा रहा है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाया जा सके। इस कार्याशाला में ऑनलाईन माध्यम से चेंजइन फाउण्डेशन की नुपुर झुनझुनवाला द्वारा इनक्लूजन ऑन स्टुडेंटस स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी तथा डा0 जितेन्द्र नागपाल द्वारा इनटीग्रेटेड एपरोच टू प्रमोटिंग पोजिटिव मेंटल हैल्थ रेजिलियेंस एण्ड वैल विइंग पर व्याख्यान दिया। इस कार्यशाला में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्त्राखण्ड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर के 30 से अधिक निदेशक तथा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. रीतेश साह, सहायक निदेशक, यूजीसी-मलवीय मिशन टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर, कुमाऊं विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम का संचालन किया।
यह कार्यशाला कल भी जारी रहेगी, जिसमें शैक्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता में सुधार और समग्र शैक्षिक अनुभव को बढ़ाने के लिए और अधिक चर्चाएं की जाएंगी।



