नैनीताल: विकासखंड रामगढ़ लोशज्ञानी गाँव के 43 साल के राकेश चन्द्र काश्तकारी का कार्य लंबे समय से कर रहे थे। लेकिन कृषि कार्य जुड़ने के शुरूआती वर्षों से ही उनका रुझान सतत एवं एकीकृत कृषिकरण पद्धति की तरफ रहा। इस रुझान को धरातल पर क्रियान्वयित करने में उचित जानकारी एवं मार्गदर्शन का अभाव काफी समय तक उनके लिए एक चुनौती बना रहा, हालांकि राकेश चन्द्र ने पारंपरिक कृषि से इतर बागवानी करने का निश्चय किया और सीढ़ीदार खेतों में सेब, खुबानी,आडू, और संतरे के फलदार वृक्ष लगाये, परन्तु एकीकृत कृषिकरण का उनका सपना मूर्त रूप नहीं ले पा रहा था। जिससे परिवार का भरण पोषण में काफी समस्याएं आने लगी। परिवार के लिए बेहतर करने की भावना और पहाड़ के प्रति गहरे प्रेम के चलते, राकेश ने निरंतर अपनी बागवानी के साथ साथ मछली पालन करने का भी मन बना लिया था।
मत्स्य विभाग द्वारा मत्स्य पालन के लिए किये जा रहे प्रयासों के विषय में जानकारी लेने के बाद उन्होंने विभाग के अधिकारियों से मत्स्य पालन के विकास के अवसरों की तलाश के लिए उनकी भूमि का दौरा करने का अनुरोध किया। जनपद मत्स्य प्रभारी डॉ विशाल दत्ता ने उनके अनुरोध को गंभीरता से लिया और क्षेत्र का दौरा किया। तकनीकी सहयोग से राकेश को ट्राउट रेसवे निर्माण और ट्राउट पालन का बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने रेनबो ट्राउट पालन को आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल और एकीकृत तकनीकों के साथ मिश्रित किया।
रामगढ़ में अन्य ट्राउट पालक भी उभर रहे थे, जिससे प्रतिस्पर्धा भी बढ़ने लगी इसलिए उन्हें केवल गैर-उपजाऊ स्टॉक को बेचने और बाकी को प्रजनन के लिए रखने की सलाह दी गई और वह इस पर सहमत हो गए। ट्राउट का विक्रय विभिन्न संस्थानों सहित पर्यटकों एवं अन्य स्थानीय लोगों को किया। 2024 की शुरुआत में, डॉ. विशाल दत्ता और डॉ. बिपिन कुमार विश्वकर्मा, मत्स्य निरीक्षक ने राकेश चन्द्र के ट्राउट फार्म का दौरा किया और प्रजनन के उद्देश्य से ब्रूड स्टॉक की जांच की। वित्तीय वर्ष 2024-25 में एंगलिंग बीट की स्थापना के पश्चात राकेश का लक्ष्य अब मत्स्य पालन एवं उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों से कम से कम 5 लाख प्रति वर्ष हासिल करना है, ताकि वह अपने छोटे भाई को भी इस उद्यम में पूर्णकालिक रूप से शामिल कर सकें।
सफलता-
ट्राउट पालन एवं बागवानी कृषि के एकीकृत उद्यम के इस हस्तक्षेप से पहले राकेश की औसत वार्षिक आय फलों – सब्जियों के विक्रय से करीब पचास से साठ हजार रुपये थी, जबकि उचित मार्गदर्शन और तकनीकी जानकारी के बाद अब नए एकीकृत उद्यम से उनके परिवार की लगभग 1.2 लाख प्रति वर्ष की आमदनी हो रही है। साथ ही राकेश चन्द्र को जिले में पहले रेनबो ट्राउट ब्रीडर के रूप में ख्याति प्राप्त हुई है। उनके इस कार्यों से प्रेरित होकर पलायन की सोच रहे कई युवा और स्थानीय लोग भी राकेश चन्द्र के पास स्वालंबन की प्रेरणा लेने के लिए आने लगे हैं।

