नैनीताल मे ‘विश्व पोलियो दिवस’ के उपलक्ष्य पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन।

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नैनीताल:-माननीय उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल के दिशा निर्देशानुसार एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल / जिला न्यायाधीश श्री हरीश कुमार गोयल जी के निर्देशन में सिविल जज (सी०डि०) / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल श्रीमती पारुल थपलियाल के मार्गदर्शन मे ” विश्व पोलियो दिवस” के उपलक्ष्य पर जिला चिकित्सालय बी0डी0पांडे नैनीताल मे रिटेनर अधिवक्ता तारा आर्या व यशवंत कुमार द्वारा विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमे रिटेनर अधिवक्ता द्वारा विश्व पोलियो दिवस पर बताया गया की पोलियो के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह अपंगकारी रोग पोलियो वायरस के कारण होता है और जानलेवा भी हो सकता है। यह दिवस पोलियो उन्मूलन के उद्देश्य से वैश्विक टीकाकरण प्रयासों के महत्व पर ज़ोर देता है। यह इस रोग से प्रभावित व्यक्तियों की सहायता करने का भी प्रयास करता है। विश्व पोलियो दिवस, पोलियो टीकाकरण के महत्व को उजागर करने और दुनिया भर में इस बीमारी के उन्मूलन के लिए समर्पित स्वास्थ्य कर्मियों और संगठनों के प्रयासों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। विश्व पोलियो दिवस की स्थापना 2013 में हुई थी। यह दिवस जोनास साल्क द्वारा पोलियो वैक्सीन की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। शिविर मे तारा आर्या द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किस प्रकार से विधिक कानूनी सहायता प्रदान की जाती है वह गरीब वह आर्थिक रूप से कमजोर वंचित लोगों तक न्याय किस प्रकार पहुंच सकता है के बारे में भी विस्तार पूर्ण जानकारियां दी गई,।
डा रविंद्र सिह मेय द्वारा बताया गया की पोलियो एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता का विषय है क्योंकि यह अत्यधिक संक्रामक है, विशेष रूप से बच्चों में अपरिवर्तनीय पक्षाघात और मृत्यु का कारण बनता है।जब तक वायरस मौजूद है, चाहे वह किसी भी देश में हो, वहां के लोगों को नए प्रकोप का खतरा बना रहता है, जिससे इसका पूर्ण उन्मूलन एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बन जाता है।वयस्कों को पोलियो हो सकता है, खासकर अगर उन्हें टीका न लगाया गया हो। हालाँकि, यह ज़्यादातर पाँच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। जिन लोगों को बचपन में पोलियो हुआ था, उनमें पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम भी हो सकता है।कई देशों में निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) के लिए मानक आयु 2 महीने (पहली खुराक), 4 महीने (दूसरी खुराक), 6 से 18 महीने (तीसरी खुराक) और 4 से 6 वर्ष (चौथी खुराक) है।पूर्ण सुरक्षा के लिए, रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के भाग के रूप में बच्चों के लिए निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) की कुल चार खुराक की सिफारिश करता है।
डॉ द्रोपदी गब्याल द्वारा शिविर मे पोलियो से बचाव के लिए दो प्रकार की टीकाएं उपयोग में लाई जाती हैं. पहली है एक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन, जिसे जन्म के बाद बच्चों को दिया जाता है ताकि भविष्य में पोलियो का खतरा न रहे. दूसरी है ओरल पोलियो वैक्सीन, जो कई देशों में बच्चों को पिलाई जाती है.भारत ने पिछले 20 वर्षों में पोलियो उन्मूलन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. व्यापक टीकाकरण अभियान और सरकारी पहल के चलते भारत 2014 में पोलियो मुक्त घोषित हुआ. हालांकि, पोलियो का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, इसलिए जागरूकता और टीकाकरण अभियान लगातार जारी हैं.
शिविर के अतिम सत्र मे प्रमुख चिकित्सा अधिकारी तरुण कुमार टम्टा द्वारा बताया गया की  पोलियो एक संक्रामक वायरस है, जो मुख्य रूप से संक्रमित पानी और खाद्य पदार्थों के माध्यम से फैलता है। यह वायरस मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, और इसके कारण बच्चों में लकवा (पैरालिसिस) हो सकता है। लेकिन पोलियो को पूरी तरह से रोका जा सकता है, और इसके उन्मूलन के लिए कई उपाय जैसे- इस रोग के संबध में सामुदायिक जागरूकता फैलाना, पोलियो वैक्सीनेशन, हैण्ड वॉशिंग और सफाई, स्वच्छ जल और पोषण, वैक्सीनेशन अभियान में सहयोग आदि किए जाते हैं।  चिकत्सा अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत अनुभवों को भी साझा करते हुए पोलियो दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला गया ,उन्होंने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सराहनिय कार्यो के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया था गरीब लोगो लो निशुल्क कानूनी सहायता मिल सके अपने साथी डॉक्टर को भी जागरूकता करने लिए कहा गया। शिविर मे डॉक्टर गंगोला ,डॉ मोनिका कांडपाल ,डॉक्टर सुधांशु ,सहायक नर्श पुष्पा वर्मा जानकी गंगवार ,विमल चिलवाल, तृप्ति ,सीमा आर्य इत्यादि चिकित्सालय कर्मचारी उपस्थित रहे।।

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