अल्मोड़ा में “बाला गोरिया” गीत नाटिका का हुआ मंचन,सत्य और न्याय के प्रतीक।

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अल्मोड़ा:- संस्कार सांस्कृतिक एवं पर्यावरण संरक्षण समिति नयाल खोला अल्मोड़ा द्वारा मल्ला महल में आयोजित गोल्ज्यू महोत्सव के पांचवें दिन स्थानीय कलाकारों द्वारा बाला गोरिया गीत नृत्य नाटिका का सफल मंचन किया गया।
प्रसिद्ध छायाकार एवं रंगकर्मी बृजमोहन जोशी के द्वारा लिखित, संगीत बद्ध व निर्देशन में बाला गोरिया नृत्य नाटिका का मंचन जै गोल्ज्यू महोत्सव २०२५ अल्मोड़ा में किया गया।
बाला गोरिया सत्य और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं। इन्हीं चारित्रिक गुणों के कारण वे अपने जीवन काल में ही पूजे जाने लगे थे। इन्हें गोरिया, गोरिल ग्वेल,ग्वल ,ग्वल्ल, गोल्ज्यू आदि अनेक नामों से संबोधित किया जाता है। राजा हालराई ने अपनी मां “कन्नरा” की इच्छा के विरुद्ध एक किरात परिवार की लड़की “कालिंका ” के साथ विवाह किया था। रूष्ट मां ने सौतों के साथ मिलकर कालिंका के नवजात शीशु को गोरी नदी में फैंक दिया था। गोरी नदी में मिलने के कारण इनका नाम गोरिया पड़ा। चम्पावत, उदैपुर,चितई,विनायक, घोड़ाखाल,चमड़खान,नैनीताल आदि स्थानों में इनके अनेक मन्दिर (थान) हैं। इन मन्दिरों में वर्ष भर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है।लोक देवता के रूप में ईष्ट देवता के रूप में इन्हें पूजा जाता हैं। इस गीत नृत्य नाटिका की प्रस्तुति में राहुल जोशी, विशाल बोरा,राफेल, दिपांशु, संदीप नयाल, प्रेमा जीना, मृत्युंजय चौहान,गीतांजलि,काव्या गुरानी ने अपने गायन व अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया।गायिका गीतांजलि व काव्या गुरानी की सुरीली आवाज संदीप नयाल (जगरिया) व मृतयुंज्य चौहान के (बाला गोरिया) ने शानदार अभिनय किया। यह गीत नृत्य नाटिका दर्शकों के समक्ष बाला गोरिया के बाल जीवन के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत करने में सफल रही। रंगकर्मी बृजमोहन जोशी के शानदार निर्देशन को भी दर्शकों के द्वारा सराहा गया। मंच संचालन कलाकार गीतांजलि के द्वारा किया गया। इस गीत नाटिका को सफल बनाने में‌ व विशेष सहयोग देने में रंगकर्मी अखिलेश थापा, रंगकर्मी मनमोहन चौधरी, रंगकर्मी अमर नाथ सिंह नेगी, रंगकर्मी “बीजी” विजय सिंह चौहान जी तथा हुक्का क्लब परिवार अल्मोड़ा का विशेष सहयोग कलाकारों को प्राप्त हुआ।

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