नैनीताल:-उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ समिति के पदाधिकारी मनोज तिवारी ने बताया की शासन द्वारा भविष्य में केवल स्थाई नियुक्तियों को लेकर जारी किया गए शासनादेश पर प्रश्न चिन्ह लगने जा रहा है अप्रैल 2025 में मुख्य सचिव उत्तराखंड की ओर से जारी शासनादेश में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 का हवाला देते हुए राज्य के अंतर्गत समस्त विभागीय स्वीकृत पदों पर होने वाली कोई भी नियुक्ति स्थाई रूप से विभागीय प्रचलित नियमावली के माध्यम से होने का शासनादेश जारी करते हुए भविष्य में किसी भी प्रकार की आउटसोर्सिंग एजेंसी अथवा संविदा या किसी भी प्रकार की अस्थाई व्यवस्था के तहत कोई भी नियुक्तियां नहीं किए जाने का आदेश जारी किया गया परंतु इसके विपरीत शिक्षा विभाग में पिछले 7 वर्षों से रिक्त चल आ रहे पदों पर आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्तियां की तैयारी की जा चुकी है जिसके लिए विधिवत विभागीय मेरिट लिस्ट भी जारी की जा चुकी है जिन पर आचार संहिता के पश्चात नियुक्ति पत्र जारी किए जाने के निर्देश दिए गए हैं गौरतलब है की सर्व शिक्षा अभियान एवं राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को एकीकृत कर समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत पूर्व में यह पद विभागीय पदेन अधिकारियों एवं कार्यरत शिक्षकों की पदस्थापना (डेपुटेशन) से भरे जाने की स्वीकृत महामहिम राज्यपाल द्वारा दिए जाने के पश्चात विधिवत पद सृजन का शासनादेश जारी किया गया था।
उल्लेखनीय है कि राज्य अंतर्गत पूर्व में आउटसोर्सिंग सहित अन्य माध्यमों से भर्ती कार्मिकों द्वारा समय-समय पर अपने नियमितीकरण की मांग उठाई जाती रही जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा भी इन्हीं कार्मिकों के पक्ष में निर्णय देते हुए इन्हें स्थाई किए जाने का निर्णय सुनाया गया। वर्तमान में भी कई विभागों में नियमित नियुक्तियों को लेकर इन्हीं कर्म से कई पेंच फंसे हुए हैं, ऐसे में फिर से आउटसोर्सिंग एजेंसीजों के माध्यम से नियुक्तियां किया जाना सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय तदर्थ समिति के पदाधिकारी मनोज तिवारी ने कहा कि एक और जहां विगत 7 वर्षों से इन पदों पर काम चलाओ व्यवस्था के चलते जवाबदेही नहीं होने का सीधा असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ा वहीं अब दूसरी ओर पूरी विभागीय प्रक्रिया के उपरांत आउटसोर्सिंग एजेंसी से इन पदों पर नियुक्तियां की जाएगी तो निश्चित रूप से वह भविष्य में अपने स्थाईकरण की मांग करेंगे क्योंकि इन नियुक्तियों का पुख्ता आधार विभागीय स्तर पर मेरिट सूची का जारी किया जाना है जबकि यह कार्य आउटसोर्सिंग एजेंसी को करना चाहिए था। उन्होंने तत्काल राज्यहित में इस व्यवस्था को दुरुस्त किए जाने की मांग की है।


